Description
इस अध्याय में लेखक ने कर्मयोग और ज्ञानयोग के महत्व को समझाया है।
कर्मयोग की परिभाषा: कर्मयोग का अर्थ है बिना फल की इच्छा के कार्य करना, जो आत्मा की शुद्धि के लिए आवश्यक है।
ज्ञानयोग की परिभाषा: ज्ञानयोग का अर्थ है भौतिक वस्तुओं से संबंधित ज्ञान प्राप्त करना और उसे आत्मा की उन्नति के लिए उपयोग करना।
कर्म और ज्ञान का समन्वय: लेखक ने कर्म और ज्ञान के समन्वय को वास्तविक योग बताया है, जो व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है।